HELPING THE OTHERS REALIZE THE ADVANTAGES OF भाग्य VS कर्म

Helping The others Realize The Advantages Of भाग्य Vs कर्म

Helping The others Realize The Advantages Of भाग्य Vs कर्म

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आचार्य जी-अरे यह सब तो मां-बाप, अध्यापक, घर के बुजुर्ग और हम जैसे लोग सिखाते ही रहते हैं की जीवन कैसे जीना चाहिए और कैसे कर्म करने चाहिए, फिर ये आप ज्योतिष सीख कर, अपना वक्त लगाकर ही क्यों करना चाहते हैं?

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मैं उनकी बात सुन रहा था और साथ ही यह भी सोच रहा था की अगर मुझे ज्योतिष ही सीखनी है तो और कुछ सीखने की क्या जरूरत है, पर उनसे कुछ कह न सका।

Bhikhari ko bhi mangna padata hai tabhi use kuch mil pata hai matalab is duniya me kuch bhi aise Hello nahi milta… kuch na kuch karm karana padata hai.

महाराज मानते हैं कि केवल कर्म करना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि उसे सही दिशा में करना भी आवश्यक है। इसके साथ ही, भक्ति, साधना, और आत्म-अवलोकन के माध्यम से व्यक्ति अपने जीवन को बेहतर बना सकता है। ईश्वर की कृपा और भक्ति से, कर्म के प्रभाव को भी बदला जा सकता है। जब व्यक्ति सच्चे मन से प्रयास करता है और धर्म के मार्ग पर चलता है, तो ईश्वर उसका मार्ग प्रशस्त करते हैं।

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भाग्य और कर्म का एक ही मतलब नहीं होता। भाग्य आपके द्वारा एकत्रित किए गए कर्मों द्वारा निर्धारित होता है। और कर्म आपके द्वारा किए गए कार्यों का परिणाम होता है। इस प्रकार, कर्म का मूल सिद्धांत यह है कि व्यक्ति जो भी सोचता है, बोलता है, या अपने जीवनकाल में करता है, उसका परिणाम उसी व्यक्ति के जीवन पर पड़ता है। कर्म का उद्देश्य परिणाम के नियम को तोड़ना है, न कि प्रारंभिक विचार। हमारी वर्तमान स्थिति पिछले कार्यों का परिणाम है और वर्तमान कार्यों के परिणाम भविष्य की स्थिति का कारण बनेंगे। यह अच्छे या बुरे को मानदंड प्रदान करता है ताकि लोग सही और उचित जीवन जी सकें जो खुद के साथ-साथ समाज के लिए भी कुछ सकारात्मक जोड़ता है।

Our biggest weak point lies in giving up. probably the most particular strategy to realize success is always to test just one much more time. — Thomas Edison

आचार्य जी– हां मैं ये सब जानता हूं, पर मैं तो आपसे वही पूछ रहा हो जो मेरे मन में आपकी बातों से सवाल बन रहे हैं। अच्छा आप खुद ही बताएं कि अगर हम भाग्य को बदल नहीं सकते और समय से पहले हमें कुछ नहीं मिल website सकता, तो हम ज्योतिषाचार्य के पास जाकर भी क्या पा लेंगे?

मैंने सर हिलाते हुए सोचा की आचार्य जी जानते थे की उन्होंने मुझे कोई समय नहीं दिया, इसका मतलब यह कोई परीक्षा थी और अगर उनके शिष्य ने मुझे समय नहीं बताया होता, तो शायद मैं इस परीक्षा में फेल हो गया होता

खुद को भाग्य के भरोसे वही छोड़ता है जो कर्म नहीं करना चाहता। कर्म करने से ही भाग्‍य बनता है। जिसको कर्म में जितना विश्‍वास है वह व्‍यक्ति उतना ही सक्सेस होगा। हाथ पर हाथ रख कर बैठे रहने से न ही भाग्‍य साथ देता है और न कर्म ही होता है।

.तो याद रखिये.. भाग्य आपके साथ नहीं बल्कि साक्षात भगवान् आपके साथ है !

भाग्य कुछ नहीं होता बस भविष्य होता है कर्म सोच और मेहनत का परिणाम है. अगर आप सही कर्म के सारे दाव पेंच अच्छे से निभा रहे है.

सृष्टि में कोई भी व्यक्ति बिना कर्म किए नहीं रह सकता है। वह या तो विचारों के माध्यम से सक्रिय है अथवा क्रियाओं के माध्यम से या फिर कारण बन कर कर्म में योगदान कर रहा है। जीव-जंतु हों या मनुष्य, कोई भी अकर्मण्य नहीं है और न ही कभी रह सकता है। विद्वानों ने मुख्य रूप से तीन प्रकार के कर्म बताए हैं जिनमें एक होता है क्रियमाण कर्म, जिसका फल इसी जीवन में तुरंत प्राप्त हो जाता है। दूसरा संचित कर्म होता है, जिसका फल बाद में मिलता है। तीसरा होता है प्रारब्ध।

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